विद्यालय प्रबन्ध समिति का गठन
निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 21 के अन्तर्गत प्रदेश के समस्त परिषदीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक, कम्पोजिट एवं कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालयों में एक ’विद्यालय प्रबन्ध समिति’ गठित करने का प्रावधान है। उत्तर प्रदेश निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के अनुसार समिति में कुल 15 सदस्य जिनमे से 11 सदस्य विद्यालय में प्रवेश प्राप्त बच्चों के माता-पिता या अभिभावक और चार नामित सदस्य होते हैं। समिति के कुल सदस्यों में से कम से कम 50 प्रतिशत महिलाओं का होना अनिवार्य है।
अधिनियम के अन्तर्गत समुदाय एवं माता-पिता को यह अवसर प्राप्त है कि अपने बच्चों के लिए विद्यालय प्रबन्ध समिति में शामिल होकर विद्यालयों में समुदाय की सहभागिता एवं विद्यालयों विकास में सहयोग प्रदान करें। शिक्षा के अधिकार अधिनियम में विद्यालय प्रबन्ध समिति एवं स्थानीय प्राधिकारी की महत्वपूर्ण भूमिका है। विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों द्वारा प्रतिदिन विद्यालय में पहुँचकर विद्यालय संचालन में सहयोग प्रदान किया जाता है।
- विद्यालय प्रबन्ध समिति का कार्यकाल 02 वर्ष के लिए होता है तथा अध्यक्ष व समिति के सदस्यों का चयन विद्यालय में प्रवेश प्राप्त बच्चों के माता-पिता/अभिभावकों की खुली बैठक आयोजित कर आम सहमति से चुनाव द्वारा किया जाता है। चुने गये सदस्यों में से आपसी सहमति से अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है।
विद्यालय प्रबंध समिति की बैठक
निःशुल्क और अनिवार्य बाल अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के अन्तर्गत समस्त विद्यालयों में विद्यालय प्रबन्ध समिति गठित की गयी है। इस सम्बन्ध में शासनादेश सं0 804/69-5-19-29/2009 टी.सी. दिनांक 09 सितम्बर, 2019 द्वारा विद्यालय प्रबन्ध समिति की नियमित मासिक बैठक माह के प्रथम बुधवार को निर्धारित की गयी है।
जनपहल रेडियो कार्यक्रम
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 21 के अन्तर्गत गठित विद्यालय प्रबन्ध समितियों के कार्य, कर्तव्यों एवं दायित्वों के सम्बन्ध में जन-समुदाय को जागरूक करने के उद्देश्य से ’जनपहल रेडियो कार्यक्रम’ प्रसारित किया जाता है। विद्यालय प्रबन्ध समितियों के सुदृढ़ीकरण हेतु निरन्तर प्रयास किये जा रहे हैं, इसी प्रकार का एक प्रयास जनपहल रेडियो कार्यक्रम है।
समग्र शिक्षा एवं यूनिसेफ के सहयोग से 75 जिलों में जन पहल रेडियो कार्यक्रम का प्रसारण किया जाता है। ऑल इंडिया रेडियो के माध्यम से 52 एपिसोड प्रसारित किए जाते हैं, जिसमें एस.एम.सी. सदस्यों को उनके कार्यों, कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाता है।
जन-पहल रेडियो कार्यक्रम का मूल उद्देश्य समुदाय को संवेदनशील बनाना और विद्यालय प्रबंध समिति के माध्यम से विद्यालयों के कामकाज में भागीदारी सुनिश्चित करना। जन-पहल रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से एस.एम.सी. की भूमिका और जिम्मेदारी के बारे में जानकारी साझा करना तथा विद्यालय के बारें में समुदाय की जिम्मेदारी को स्पष्ट करना है।
'शारदा' कार्यक्रम के अंतर्गत आउट ऑफ़ स्कूल बच्चों का चिन्हांकन, नामांकन एवं विशेष प्रशिक्षण
निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के अन्तर्गत 06-14 आयु वर्ग के ऐसे बच्चे जिन्हें किसी विद्यालय में नामांकित नहीं किया गया है अथवा नामांकन के उपरान्त वे अपनी प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण नहीं कर सके हैं उनका चिह्नीकरण करते हुए उनका नामांकन आयुसंगत कक्षा में कराया जाये और अन्य विद्यार्थियों के समकक्ष लाने हेतु उन बच्चों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। उक्त प्रावधान को प्रभावी रूप में क्रियान्वित करने हेतु कार्यक्रम ’शारदा’ (शारदा-स्कूल हर दिन आयें) संचालित किया जा रहा है।
'शारदा' कार्यक्रम के अन्तर्गत जनपद में 5 से 14 आयुवर्ग के समस्त आउट ऑफ स्कूल बच्चे लक्षित समूह हैं।
आउट ऑफ स्कूल बच्चे 02 श्रेणी के हो सकते हैंः-
- ऐसे बच्चे जिनका विद्यालय में कभी भी नामांकन नहीं किया गया हो ।
- ऐसे बच्चे जिनका विद्यालय में पूर्व में नामांकन हुआ था किन्तु किन्हीं कारणवश अपनी शिक्षा पूरी किये बिना विद्यालय छोड़ गये अर्थात ड्राप आउट हो गये ।
ड्राप आउट बच्चों के चिन्हीकरण की प्रक्रिया को स्पष्ट करने के उद्देश्य से राज्य सरकार द्वारा आउट ऑफ स्कूल बच्चों को निम्नवत् परिभाषित किया गया हैः- “06 से 14 वर्ष की आयु का बालक बिना विद्यालय का माना जायेगा, यदि वह किसी प्रारम्भिक विद्यालय में कभी नामांकित न किया गया हो/की गयी हो अथवा यदि नामांकन के पश्चात् अनुपस्थित होने के कारणों की पूर्व सूचना के बिना विद्यालय से निरन्तर 45 दिन या उससे अधिक अवधि में अनुपस्थित रहा/रही हो।’’
हाउस होल्ड सर्वे के माध्यम से चिह्नांकन/नामांकन की रणनीतिः-
- विद्यालय प्रबंध समिति का एक महत्वपूर्ण दायित्व यह भी है कि विद्यालय के आस-पास के 5 से 14 आयुवर्ग के प्रत्येक बालक-बालिका विद्यालय में नामांकित हों तथा नियमित रूप से विद्यालय जाते हों। क्षेत्र में आउट ऑफ स्कूल बच्चा शेष न रह जाये इसके लिए आउट ऑफ स्कूल बच्चों के चिन्हांकन हेतु किए जाने वाले हाऊस होल्ड सर्वे में एस.एम.सी. का योगदान महत्वपूर्ण है।
- प्रधानाध्यापक द्वारा विद्यालय से सेवित बस्तियों (कैचमेन्ट एरिया) के घरों का आवंटन स्वयं को सम्मिलित करते हुए विद्यालय के समस्त स्टाफ के मध्य इस प्रकार किया जाता है कि सर्वे में सभी बस्तियाँ/घर आच्छादित हो जायें।
- हाउस होल्ड सर्वे की अवधि में शिक्षक/शिक्षामित्र अपने साथ विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को साथ लेकर घर-घर सम्पर्क करते हैं, इससे विद्यालय न जाने वाले बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय भेजने हेतु अभिप्रेरित होते हैं।
- विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों का चिह्नांकन भी हाउस होल्ड सर्वे के साथ किया जाता है ताकि ऐसे बच्चों के नामांकन एवं शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा सके ।
- विद्यालय परिसर में संचालित आंगनवाड़ी में अध्ययनरत् ऐसे बच्चे जिनकी आयु 3+ वर्ष हो, उन्हें प्रधानाध्यापक द्वारा कक्षा-1 में अनिवार्यतः प्रवेश कराया जाता है।
आयुसंगत कक्षा में नामांकित आउट ऑफ स्कूल बच्चों हेतु विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्थाः-
- विद्यालयों में आयुसंगत कक्षा में नामांकित आउट ऑफ स्कूल बच्चों को उनकी कक्षा के अनुरूप अधिगम स्तर तक लाने हेतु शारदा संघनित पाठ्यक्रम के आधार पर विशेष प्रशिक्षण दिये जाने की व्यवस्था है ।
- विशेष प्रशिक्षण हेतु संबंधित विद्यालय के नोडल अध्यापक को ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षित किया जाता है उसके उपरांत नोडल अध्यापकों द्वारा बच्चों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है ।
- विशेष प्रशिक्षण हेतु बच्चों के लिए अधिगम सामग्री तथा संघनित पाठ्य पुस्तकें (कंडेंस्ड टेक्स्ट बुक्स), आदि उपलब्ध करायी जाती हैं। विद्यालय में नामांकन के उपरान्त बच्चों को अपेक्षित अधिगम स्तर तक लाने हेतु आवश्यकतानुसार विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।
- कोविड-19 महामारी के कारण विद्यालय बंद रहे हैं जिससे बच्चों का शिक्षण कार्य प्रभावित हुआ है । इस समय अध्यापकों द्वारा बच्चों को विभिन्न माध्यमों (यथा ई-पाठशाला, दीक्षा, व्हाट्सएप , दूरदर्शन एवं आकाशवाणी) का प्रयोग कर शिक्षण कार्य किया गया है।
- विशेष प्रशिक्षण की समाप्ति के उपरान्त नोडल अध्यापक/प्रधानाध्यापक एवं अध्यापक द्वारा इन बच्चों का अंतिम मूल्यांकन (फाइनल एसेसमेंट) किया जाता है और नवीन शैक्षिक सत्र में इन बच्चों को आयुसंगत कक्षा की मुख्य धारा में सम्मिलित किया जाता है तथा स्पेशल एजुकेटर्स द्वारा अनुसमर्थन प्रदान किया जाता है।
- विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था हेतु विद्यालय के प्रधानाध्यापक, नोडल अध्यापक तथा विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष उत्तरदायी होते हैं । विकास खण्ड स्तर पर खण्ड शिक्षा अधिकारी तथा जनपद स्तर पर जिला समन्वयक (प्रशिक्षण एवं सामुदायिक सहभागिता) एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इस कार्य हेतु उत्तरदायी हैं।
डी.बी.टी. के माध्यम से छात्र-छात्राओं को यूनीफार्म, स्वेटर जूते-मोजे एवं स्कूल बैग खरीदने के लिए माता/पिता/अभिभावकों के बैंक खातों में रू0 1100/- धनराशि उपलब्ध करायी जाती है -
- समग्र शिक्षा के द्वारा छात्र-छात्राओं के माता/पिता/अभिभावकों के बैंक खातों में डी.बी.टी. के माध्यम से यूनीफार्म, स्कूल बैग, स्वेटर एवं जूते-मोजे आदि क्रय किये जाने के लिए धनराशि प्रेषित की जाती है।
- परिषदीय प्राथमिक, परिषदीय उच्च प्राथमिक, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय एवं राजकीय विद्यालयों में अध्ययनरत् समस्त बालिकाओं (के.जी.बी.वी. बालिकाओं सहित), अनुसूचित जाति के बालकों, अनुसूचित जनजाति के बालकों एवं गरीबी रेखा के नीचे के परिवार के प्रत्येक छात्र-छात्रा को यूनीफार्म क्रय हेतु रू0 300/-की दर से दो जोड़ी यूनीफार्म हेतु रू0 600 मात्र, स्वेटर क्रय हेतु रू0 200/-मात्र, जूता-मोजा क्रय हेतु रू0 125/- स्कूल बैग क्रय हेतु रू0 175/- अर्थात् कुल रू0 1100/- मात्र डी.बी.टी. के माध्यम से उपलब्ध करायी जाती है।
- अध्यापक द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि समस्त नामांकित बच्चों का विवरण प्रेरणा पोर्टल पर अनिवार्य रूप से दर्ज किया गया हो।
- अध्यापक द्वारा डी.बी.टी. एप के माध्यम से बच्चों का विवरण सत्यापित किया जाता है एवं बैंक विवरण अंकित करते हुए प्रमाणित किया जाता है।
- डी.बी.टी. के माध्यम से धनराशि प्राप्त करने हेतु छात्र-छात्राओं के माता/पिता/अभिभावकों का बैंक खाता आधार सीडेड (अर्थात् बैंक खाता आधार से जुड़ा हो) और सक्रिय होना आवश्यक है।
- छात्र-छात्राओं के माता/पिता/अभिभावकों के बैंक खाता सक्रिय होने हेतु यह आवश्यक है कि बैंक खाते में पिछले तीन महीने में लेने-देने किया गया हो।
- प्रधानाध्यापक/अध्यापक द्वारा सुनिश्चित किया जाये कि छात्र-छात्राओं के माता/पिता/ अभिभावकों के द्वारा डी.बी.टी. के माध्यम से प्राप्त धनराशि को यूनीफार्म, स्वेटर, जूता-मोजा एवं स्कूल बैग के क्रय हेतु ही व्यय किया गया हो।
- माता/पिता/अभिभावक यह सुनिश्चित करें कि छात्र-छात्राओं को प्रतिदिन यूनीफार्म में ही विद्यालय भेजें।
निःशुल्क पाठ्य पुस्तकों एवं कार्य पुस्तिकाओं का वितरण-
समग्र शिक्षा के अन्तर्गत प्रदेश के सभी जनपदों में संचालित परिषदीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालयों, राजकीय विद्यालयों, अशासकीय सहायता प्राप्त प्राथमिक/उच्च प्राथमिक एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित राजकीय व सहायता प्राप्त विद्यालयों तथा सहायता प्राप्त मदरसों में अध्ययनरत् कक्षा 01 से 08 तक के समस्त छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहन के रूप में निःशुल्क पाठ्य-पुस्तक वितरित की जाती हैं। राज्य में पाठ्य पुस्तकों का विकास हिन्दी के अतिरिक्त अंग्रेजी, उर्दू भाषा एवं ब्रेल लिपि में भी किया जाता है।
- कक्षा 1 -5 में सभी बच्चों के लिए हिंदी और गणित की कार्य पुस्तिकाएँ विकसित और वितरित की जाती है। इनका उपयोग सभी प्राथमिक स्कूलों में बच्चों द्वारा किया जाता है। सभी पाठ्य पुस्तकों में प्रत्येक विषय की किताब के शुरुआती पन्नों में प्रारंभिक स्तर के सीखने के संकेतक हैं।
- शैक्षिक सत्र के प्रारम्भ में ही कक्षा 1-8 तक अध्ययनरत् समस्त छात्र -छात्राओं को निःशुल्क पाठ्य-पुस्तकों का वितरण किया जाता है।